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कंप्यूटर की पांच पीढियां और विशेषताए - Features of Five Generations of Computer


कंप्यूटर्स के विकास को समझने के लिए इन्हें पांच पीढ़ी में बांटा गया है। इससे हमें कंप्यूटरों की तकनीक में हुई प्रगति की जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलती है। प्रत्येक कंप्यूटर के मूलभूत सिद्धांत व उनके किसी भाग के नवीन रूप में विकसित होने पर एक नई पीढ़ी की शुरुआत होती है। कंप्यूटर की पीढियो को उनके कल तथा प्रयुक्त तकनीक की एक को निम्न चार्ट में दर्शाया गया है- कंप्यूटर की विभिन्न पीढियो की मुख्य विशेषताओं की विवेचना कीजिए। प्रत्येक का उदाहरण दीजिए।

Computer ki vibhinn pidiyon ke Mukhya visheshtaon ki vivechana Kijiye pratyek ka udaharan dijiye


प्रथम पीढि


सन 1946 से सन 1956 तक विकसित हुई कंप्यूटर को प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। प्रारंभ में सेना और अकेडमिक (Academic) क्षेत्र में गणना यंत्रों को विकसित करने के लिए अमेरिका और यूरोपीय देशों की सरकारों आगे आई। ENIAC, EDSAC और EDVAC की सफलता के साथ कंप्यूटर निर्माता और उपयोगिताओं के लिए एक बृहद् व्यापार की द्वार खुल गये। सन 1946 में जे० पी० एकर्ट और जॉन मुचली ने एक कंप्यूटर बनाया जिसका नाम था। एनिएक (ENIAC - Electronic Numerical Integrator and Calculator) यह दुनिया का सबसे पहला बृहद् स्तर का जनरल पर्पज इलेक्ट्रॉनिक क कंप्यूटर (General Purpose Electronic Computer) था। गणितज्ञ जॉन वॉन न्यूमान (John Von Neumann) ने 1946 में Eckert, Mauchly तथा Goldstein and Burks के साथ मिलकर एक कंप्यूटर तैयार किया जिसमें क्रियो के लिए निर्देशों के समूह-प्रोग्राम (Program) को संग्रहित किया जा सकता था और इसके बाद नई क्रिया के लिए नया प्रोग्राम संग्रहित किया जा सकता था। सबसे पहले संग्रहित प्रोग्राम कंप्यूटर (Stored Program Computer) EDSAC सन 1949 में तैयार हुआ।

प्रथम पीढ़ी के गुण


1 प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर में वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग किया जाता था। यह वैक्यूम ट्यूब आकार में बहुत बड़ी होती है, इसलिए प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटरों का आकार बड़ा होता था। ये लगातार विद्युत की संवहन से गर्म होने के कारण जल्दी खराब हो जाते थे। अतः प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटरों को ए० सी० (Air Condition) में रखा जाता था।

2 कंप्यूटर सिस्टम में इनपुट तथा आउटपुट के लिए पंच कार्ड का प्रयोग होता था। इन पांच कर्म की प्रोसेसिंग स्पीड बहुत कम होती थी।

3 पंच कार्ड से प्राप्त कार्ड को एवं प्रोग्राम को मैग्नेटिक ड्रम पर संग्रहीत किया जाता था।

4 प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटरों में दो भाषाओं का प्रयोग प्रोग्राम लिखने में किया जाता था। यह भाषाएं हैं मशीनी भाषा तथा असेंबली भाषा।

5 प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटरों का प्रयोग Commercial Computing; जैसे - वेतन-पत्र (Payroll, Building तथा Accounting) के लिए ही किया जाता था; क्योंकि उसे समय कंप्यूटर बहुत ही महंगी थी।

द्वितीय पीढ़ी


द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर ट्राजिस्टर का प्रयोग होने से कंप्यूटर में एक नई युग का प्रारंभ हुआ।

रजिस्टर का आविष्कार सन 1947 में William Shockley द्वारा किया गया था। ट्रांजिस्टर एक अर्धचालक पदार्थ से बना होता है। इसका कार्य वैक्यूम ट्यूब के समान ही होता था लेकिन कार्य करने की गति अधिक थी। वैक्यूम ट्यूब की अपेक्षा ट्रांजिस्टर का आकार छोटा था तथा ट्रांजिस्टर वैक्यूम ट्यूब की अपेक्षा अधिक था तथा Transistor Vaccum तुबे की अपेक्षा अधिक विश्वासनीय था लगातार विद्युत के संवहन से कम गर्म होता था।

द्वितीय पीढ़ी के गुण


1 पंच कार्ड के साथ-साथ मैग्नेटिक टेप तथा डिस्क का प्रयोग भी सेकेंडरी स्टोरेज के लिए होना शुरू हो गया।

2 मैग्नेटिक ड्रम के स्थान पर मैग्नेटिक कोर मेमोरी का प्रयोग अंतरिक्ष मेमोरी में हुआ।

3 मशीनिया तथा असेंबली भाषा की जटिलता को दूर करने के लिए सरल एवं उच्चस्तरीय का विकास हुआ।

4 द्वितीय प्रणाली के कंप्यूटर का प्रयोग वायुयानों के यात्रियो के लिए आरक्षण प्रणाली में तथा MIS (Management Information System) में किया जाने लगा। इसके साथ-साथ टेलस्टार (Telestar) सन 1962 में स्थापित किया गया। टेलस्टार एक संचार उपग्रह था।

तृतीय पीढ़ी


सन 1964 से सन 1970 तक के कंप्यूटर को द्वितीय पीढ़ी में रखा गया। इस पीढ़ी के कंप्यूटर में ट्रांजिस्टर के स्थान पर Integrated Cireuits का प्रयोग होने लगा था। एक IC में ट्रांजिस्टर, रजिस्टर और कैपेसिटर तीनों को ही समाहित कर लिया गया। सन 1938 में Texas Instrument Company के जे० एस० किल्वी ने सिलिकॉन के छोटे से चिप पर एक Integrated Circuit बनाया।

सन 1953 में हाविर्च जॉनसन ने इस तकनीकी को MOSFET के नाम से पेटेंट कर लिया। सन 1966 में एक ही चीज पर हजारों ट्रांजिस्टर को बना पाना संभव हो गया। इस कारण कंप्यूटर का आकार पहले की पीढ़ी की तुलना में अत्यंत छोटा हो गया। इस पीढ़ी के कंप्यूटर में वीडियो डिस्प्ले यूनिट का भी प्रयोग होने लगा। सीपीयू का परिपथ एक छोटे से चिप पर मार्शन हॉफ ने इंटेल कॉरपोरेशन में तैयार किया। सन 1970 में तैयार किए गए इस चिप का नाम इंटेल 4004 था और इस छोटे से चिप को माइक्रोप्रोसेसर कहा गया तथा जिन कंप्यूटर में माइक्रोप्रोसेसर का प्रयोग किया गया उन्हें माइक्रो कंप्यूटर कहा गया।

इंटेल 8080 पर आधारित पहले माइक्रो कंप्यूटर ‘अल्टेयर’ MITS कंपनी ने हावर्ड विश्वविद्यालय के छात्र बिल गेट्स को तैयार माइक्रो कंप्यूटर में बेसिक भाषा को इंस्टॉल करने के लिए कहा। बिल गेट्स का यह प्रयास सफल रहा। इसके बाद बिल गेट्स ने अपनी कंप्यूटर माइक्रोसॉफ्ट कार्पोरेशन की स्थापना की, जो आज दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी है।

तृतीय पीढ़ी के गुण


1 कंप्यूटर श्रृंखला या परिवार की विचारधारा का चलन इसी पीढ़ी से प्रारंभ हुआ।

2 तृतीय पीढ़ी में नयी उच्च स्तरीय कंप्यूटर भाषाओं का विकास हुआ; जैसे-बेसिक। इन भाषाओं का प्रयोग विकास यूजर की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किया गया था। यह भाषाएं सीखने में सरल थी।

3 कंप्यूटर की सभी क्रियो को नियंत्रित करने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम बनाया गया। इस ऑपरेटिंग सिस्टम से कंप्यूटर के सभी आंतरिक कार्य स्वचालित हो गये।

4 इस पीढ़ी के मुख्य कंप्यूटर आईबीएम का सिस्टम 1360 एल आई एन ई डी एक का प्रयोग

5 IC (Integrated Circuit) का प्रयोग आरंभ हो गया।

6 द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर की अपेक्षा अधिक विश्वसनीय।

7 उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं का प्रयोग किया जाने लगा।

8 द्वितीय पीढ़ी की कंप्यूटर का रख रखाव आसान हो गया।

9 द्वितीय पीढ़ी के अपेक्षा वजन व आकर काम हो गया।

10 सेकेंडरी स्टोरेज की क्षमता बढ़ गई।

चतुर्थ पीढ़ी


सन 1970 से लेकर 1985 तक के कंप्यूटर को चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर में रखा गया। LSI (Large Scale Integrated) और फिर 1975 में VLSI (Very Large Scale Integration) चिप के निर्माण की पूरी कंट्रोल प्रोसेसिंग यूनिट का एक ही चिप पर आ पाना संभव हो गया। यह चिप अंगुली के नाखून के आकार की होती है। कंप्यूटर के संपूर्ण चिप तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर भाषाओं में कार्य करने से सरल था।


चतुर्थ पीढ़ी के गुण


1 चतुर्थ पीढ़ी में कंप्यूटर के आकार को न्यूनतम किया गया। IC छोटे से छोटे, गति में तेज और सस्ती किए गए। एक छोटे से चिप पर लाखों परिपथ का निर्माण किया गया।

2 पूर्व की पीढ़ी में प्रयुक्त कोर मेमोरी के स्थान पर अब सेमीकंडक्टर मेमोरी का प्रयोग होने लगा।

3 इस पीढ़ी के स्प्रेडशीट एप्लीकेशन, जनरेटर, डेटाबेस का कार्य करने वाले सॉफ्टवेयर तैयार हुए। इनमें कार्य करना BASIC, COBOL, FORTRAN आदि तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर भाषाओं में कार्य करने से सरल था।

पंचम पीढ़ी


सन 1985 के कंप्यूटर को पाँचवी पीढ़ी में रखा गया है। इस कंप्यूटर में मानव सदृश गुणो को समाहित करने का प्रयास किया गया। जापानी वैज्ञानिकों ने इस कंप्यूटर के विकास की अपनी योजना का नाम नॉलेज इनफॉरमेशन प्रोसेसिंग सिस्टम किप्स रखा है। इस पीढ़ी के कंप्यूटर अभी भी विकसित स्थिति में है। इन कंप्यूटर में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग करने का प्रयास किया जा रहा है।

इनसे Voice Recognition एवं Image Control का कार्य अत्यंत दक्षता और तीव्र गति से किया जाना संभव हो सकेगा।

पंचम पीनी के गुण


1 पाँचवी पीढ़ी में आवश्यकतानुसार कंप्यूटर के आकार और संरचना को तैयार किया जाता है। आजकल विभिन्न मॉडलों के कंप्यूटर उपलब्ध है; जैसे- डेस्कटॉप, लैपटॉप, पामटॉप आदि।

2 पाँचवी पीढ़ी में मल्टीमीडिया का विकास हुआ है। मल्टीमीडिया ध्वनि, दृश्य या टेस्ट का सम्मिलित रूप होता है।

3 इंटरनेट के द्वारा हम कहीं से भी स्वास्थ्य चिकित्सा, विज्ञान, कला एवं संस्कृति आदि सभी विषयों पर विविध सामग्री प्राप्त कर सकते हैं।

निष्कर्ष


कंप्यूटर की सभी पीडिया को विस्तार से बताया गया है एवं सभी वीडियो के बारे में विवरण दिया गया है एवं प्रत्येक का एक-एक गन भी बताया गया है जिससे आपको समझने में बहुत आसानी होगी कंप्यूटर की पांच पीडिया के बारे में विस्तार से बताया गया है जिसको अगर आप ध्यान पूर्वक पढ़ोगे तो आपको समझने में आसानी होगी। कंप्यूटर की विभिन्न पीढियो की मुख्य विशेषताओं की विवेचना कीजिए। प्रत्येक का उदाहरण दीजिए।

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